जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये ।
जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥ जो shiv chalisa in hindi यह पाठ करे मन लाई ।
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ Shiv chaisa अनादि भेद नहिं पाई॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥
शिव भजन